धरती
तितली भौंरे इस पर झूमें रोज हवाएं इसको चूमें | |
चंदा इसका भाई चचेरा बादल के घर जिसका डेरा | |
रोज लगाती सूरज फेरा रात कहीं है, कहीं सवेरा | |
पर्वत, झील, नदी, झरने नित पड़ते पोखर भरने | |
लोमड़, गीदड़ शेर-बघेरे करते निशि-दिन यहां चुफेरे | |
बोझ हमारा जो है सहती वही हमारी प्यारी धरती |
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