धरती


धरती






तितली भौंरे इस पर झूमें
रोज हवाएं इसको चूमें
चंदा इसका भाई चचेरा
बादल के घर जिसका डेरा
रोज लगाती सूरज फेरा
रात कहीं है, कहीं सवेरा
पर्वत, झील, नदी, झरने
नित पड़ते पोखर भरने
लोमड़, गीदड़ शेर-बघेरे
करते निशि-दिन यहां चुफेरे
बोझ हमारा जो है सहती
वही हमारी प्यारी धरती
0 comments:

Post a Comment

Followers


Recent Posts

Recent Comment