३ अज़ीब बातें

अहं


टूटता है
आदमी
किसी बोझ से नहीं
बल्कि इस
अहसास से
कि उसे
चाहने वाला नहीं रहा कोई

झुकता
है आदमी
किसी के आगे नहीं
बल्कि
इसलिये
कि उस का बेटा
उसकी पीठ पर चढ़्कर
ऊंचा उससे कहीं अधिक
ऊंचा हो जाये

डूबता
है आदमी
किसी नदी या झील मे नहीं
अपने ही किसी
कर्म की शर्म से

ढूंढता
है आदमी
जिन्दगी के
आखिरी पहर में
अपने पैरों के निशान
वापिस बचपन में
लौटने को

मरता
है आदमी
बन्दूक की
गोली से
या किसी बीमारी से नहीं
बल्कि
टूट गई आस से
खत्म हुए विश्वास से

सुनता
है आदमी
किसी सवाल को नहीं
सवाल से
निकले सवालिया जवाब़ को

चुनता
है आदमी
जाने अनजाने मे
आस-पास बिखरी
खुशियां नहीं
दूर से घसीट कर लाये ग़म

कहता
है आदमी
भाईचारे से नहीं
अहंकार से
स्वयं को
हम
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